जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने 3 प्रजातियां विकसित कर ली | चना, अलसी और विसिया
हम जानेंगे क्या है इनकी विशेषताएं और किन-किन क्षेत्रों में हम इन्हें लगा सकते हैं
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. पी के मिश्रा ने
कहा केन्द्रीय उप समिति (कृषि फसलों के फसल मानक, किस्मों की अधिसूचना एवं विमोचन) कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा विभिन्न फसलों की तीन प्रजातियों को राष्ट्रीय स्तर पर अधिसूचना एवं विमोचन के लिए स्वीकृत भी कर दिया है।
यूनिवर्सिटी के खोजकर्ता
यूनिवर्सिटी की डॉ. अनीता बब्बर ने चना की नई variety की खोज की
ए के मेहता ने विसिया की नई variety की खोज की
डॉ. वी एन राव व डॉ. पी सी मिश्रा ने अलसी की किस्म विकसित की है.
चना(Gram)
नई प्रजाति का चना (JG 24) मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के लिए अनुशंसित की गई हैफलिया पौधे में ऊपर की ओर पाई जाती हैं
इस फसल की पकने की अवधि 110 से 115 दिन है
इसकी औसत उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है.
इसकी ऊंचाई 60 सेंटीमीटर से अधिक है
अलसी(Flaxseed)
नई किस्म की अलसी (जवाहर अलसी 165) जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के लिए अनुशंसित की गई है
इसकी उपज क्षमता 21 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है
यह फसल 160 से 170 दिन में पककर तैयार हो जाती है
इस प्रजाति में तेल की उपज 454 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जो कि पहले की किस्मों की तुलना में लगभग 15 से 19 फीसदी अधिक है.
विसिया
नई प्रजाति की विसिया (जवाहर विसिया-1) चारे वाली फसल है जो कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के लिए अनुशंसित है
इसके हरे चारे की उपज क्षमता 240 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टयर है
सूखे चारे की मात्रा 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
इसमें प्रोटीन की मात्रा 14 से 15 प्रतिशत रहती है. यह फसल 90 से 95 दिन में पककर तैयार हो जाती है.